प्रेम पाने के लिए जरुरी है

अपने सार -तत्व में  सभी मनुष्य एक जैसे ही है हम सभी एक ही ईकाई के हिस्से हैं हम सभी एक ही इकाई है।  इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम किससे प्रेम करते हैं प्रेम ने एक तरह का संकल्प है अपना जीवन पूरी तरह से एक दूसरे व्यक्ति के जीवन को समर्पित कर देने का प्रेम में अगर सचमुच 'प्रेम' एक फायदा जरूर होता है। की मैं अपने व्यक्तित्व और अस्तित्व कि  तहो से अपने प्रेमी या प्रेमिका को उसके व्यक्तित्व और अस्तित्व कि तहो तक प्रेम करता हूं

प्रेम सिर्फ आत्मा को लाभ पहुंचाता है। प्रेम व्यक्ति के भीतर एक सक्रिय शक्ति का नाम है यह वह शक्ति है जो व्यक्ति और दुनिया के बीच की दीवार को तोड़ डालती है उसे दूसरा से जोड़ती है प्रेम दिल दृढ़ता है दुर्बलता नहीं
 अगर मैं सचमुच प्रेम करता हूँ तो मैं सभी व्यक्तियों से प्रेम करता हूँ  किसी से प्रेम करने का सच्चा अर्थ है कि मैं उसके माध्यम से पूरी दुनिया और जिंदगी प्रेम करता हूं प्रेम किसी व्यक्ति के साथ संबंधों का नाम नहीं है
यह एक 'दृष्टिकोण 'है ,एक चारित्रिक रुझान है- जो व्यक्ति और दुनिया के संबंधों को अभिव्यक्त करता है अगर यह एक व्यक्ति सिर्फ एक व्यक्ति से प्रेम करता है और अन्य सभी व्यक्ति में उसकी जरा भी रुचि नहीं तो उसका प्रेम ,प्रेम न होकर मात्र एक समजैविक जुड़ाव भर है उसके अहं का विस्तार भर है ।
 प्रेम की प्राप्ति के लिए जरूरत शर्त है अपनी आत्मा-मुग्धता से उबरने  में सफलता ।प्रेम एक कला है अभ्यास के लिए आस्था का अभ्यास जरूरी है प्रेम करने का मतलब है अपने आप को बिना किसी शर्त के समर्पित कर देना अपने आप को पूरी तरह दूसरों को शॉप देना इस उम्मीद के साथ कि हमारा प्रम उसके अंदर भी प्रेम पैदा करेगा।
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