प्लास्टिक के विरुद्ध










                    प्लास्टिक के विरुद्ध

पर्यावरण दिवस की वैशिवक मेजबानी भारत के हिस्से में है और इस बार की थीम प्लास्टिक प्रदूषण को लेकर है दुनिया के बड़े आविष्कारों में बीसवीं सदी के प्लास्टिक का मुकाबला शायद ही कोई और कर पाए हम प्लास्टिक  के उपयोग में इतनी बुरी तरह फंस चुके हैं कि दुनिया में प्रति व्यक्ति 45 किलोग्राम प्लास्टिक हर वर्ष उपयोग में लाता है दुनिया में हर वर्ष 500 अरब प्लास्टिक बैग का उपयोग होता है हमने पिछले दशक में पिछले दशक में प्लास्टिक का जितना उपयोग क्या उतना पूरी पिछली सदी में नहीं किया होगा आज प्रति मिनट 1000000 प्लास्टिक की बोतल ले प्रयोग में लाई जाती है प्लास्टिक ने तमाम अन्य साधनों का गला भी काट दिया जैसे कांच की जगह प्लास्टिक ने ले ली मिट्टी के घरों की जगह प्लास्टिक की सुराही आ गई
 दुनिया के 4 फ़ीसदी तेल प्लास्टिक के उत्पादन हेतु खा पाया जाता है दुनिया में सबसे बड़ा प्लास्टिक उत्पादन देश चीन है पर इसकी सबसे अधिक खपत जापान में है मतलब पूरे एशिया और अफ्रीका से ज्यादा खपत इस छोटे से देश की है दुनिया के इस बड़े कचरे के रिसाइकिल के लिए कोई मानक नहीं है जापन का दावा है कि वह इस कचरे का 77 फ़ीसदी रीसाइकिल करता है यूरोप जैसा पर्यावरण प्रेमी महादेश भी मात्र 26 फ़ीसदी प्लास्टिक ही रीसाइकिल कर पाता है वैसे इन आंकड़ों में कितनी सच्चाई है इस पर भी शंका है। क्योंकि इसे समुंदर के गर्भ में धकेल दिया जाता है जिससे सालाना $13 का नुकसान होता है उत्तरी प्रशांत महासागर में मछलियां 12000 से 24000 टन प्लास्टिक निकल जाती है जिससे आंतों में घाव से लेकर उनकी मृत्यु तक हो जाती है अध्ययन में पता चला है कि 268 विभिन्न प्रजाति देश प्लास्टिक को झेल रही है अपने देश में रोज 15000 टन प्लास्टिक कचरा पैदा होता है जिनमें से मात्र 6000 टन की वापसी हो पाती है इसका एक बड़ा हिस्सा धरती या समुद्र में समा जाता है वैज्ञानिकों ने दावा किया है । कि उनकी खोज में एक ऐसा बैक्टीरिया है जिसका भोजन ही प्लास्टिक है यह खोज कितनी प्रभावी हो पाती यह तो समय ही बताएगा प्लास्टिक का आर्थिक पक्ष इतना बड़ा है कि पूरे राजनीतिक सामाजिक तंत्र को हिला सकता है वरना इसे बड़ी मुसीबत से छुटकारा पाने का एक ही रास्ता था के सीमित उपयोग के अलावा प्लास्टिक को त्याग दिया जाए और साओ व प्रिंसीपे जैसा छोटा सा अफ्रीकी देश जब प्लास्टिक का त्याग ने का साहस जुटा सकता है तो दूसरे देश इसका उपयोग सीमित क्यों? नहीं कर सकते इसलिए भी जरूरी है क्योंकि आज प्लास्टिक प्राणियों के शरीर में प्रवेश कर रहा है जो हार्मोन सिस्टम पर प्रभाव डाल रहा है प्लास्टिक के बर्तन माइक्रोवेव के रास्ते शरीर में आए हैं इसके ऊपर भाव अगर कैंसर जैसे हो तो सोचने की जरूरत है गर्म होने पर प्लास्टिक जहरीली ग्रीनहाउस गैस का कारण भी बना हुआ है वैसे सरकार ने 50 से नीचे लगाने की योजना बनाई इसके उपयोग पर प्रतिबंध लगा रहे हैं सरकारी अगर सचमुच प्लास्टिक के नुकसान से चिंतित हैं तो उन्हें इसके उत्पादन को नियंत्रित करने के बारे में सोचना चाहिए
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