लोटा दो मेरा बचपन

 मेरा बचपन

आज मैं आपको बचपन की कुछ बात याद करवाने जा रहा हूं जिन्हें शायद हम भूल चुके हैं हम उन बातों को भूल गए जो हमने बचपन में कितने खेल खेले थे दोस्तों के साथ मौज मस्ती करना एक साथ नदी में नहाना और और रात को चिड़िया गुड गुड उड खेल खेला करते थे और बरसात में भी गाना गाना गाते हुए ढोलना और सकूल के डर से रोज नए नए बहाने बनाना जैसे हमारे पेट में दर्द हो रहा है और कब है पैर दर्द का बहाना बनाकर सकूल जाने से बचते थे हम और स्कूल में हम यह भेदभाव नहीं करते थे कि यह ऊंची जाति का है या अमीर घर का है यह गरीब घर का है और यह किस जाति से संबंध रखता है हम इन सब बातों को भूलकर एक साथ खेला करते थे और अपना लंच बॉक्स शेयर करते थे यानी मिल बांट कर खाते थे अगर हम मैं बचपन में कब किसी दोस्त से झगड़ा हो भी जाता तो ज्यादा देर तक नाराज नहीं होते थे और फिर एक दूसरे को मना कर साथ रहते और शाम को सोते हुए दादी और नानी हमें रोज एक नई परियों की कहानी सुनाती थी हम बचपन में जो भी शरारत करते थे औरतों को याद करके हमारे आंखों से आंसू आते हैं बचपन में हमें कोई रोकने टोकने वाला नहीं था आज हम पर सब तरह की पाबंदी लग जाती हैं जैसे यह काम करोगे काम करो बचपन में हम सब के दुलारे होते थे हमें किसी से कोई मतलब नहीं था हमें सिर्फ सिर्फ अपने आप से मतलब रहता था और अपनी मौज मस्ती से मतलब रहता था

लोटा दो मेरा बचपन 

लौटा दो मेरा बचपन मेरी वह शैतानी,

मां का आंचल नानी की परियों वाली कहानी।
 वे तितलियों जिनके पीछे भागे करते थे पकड़कर भंवरो को बांधा करते थे।
 दूर खेतों में जाकर नहर के ठंडे पानी में नहाना करना बस अपनी मनमानी,
 लौटा दो मेरा बचपन मेरी वो शैतानी
 वो खाना जीसे चुरा कर खाए करते थे,
 स्कूल जाने के डर से पेट दर्द का बहाना बनाया करते थे चोर सिपाही का वो खेल,
जिसमें न था कोई हमारा सानी।
लौटा दो मेरा बचपन मेरी और शैतानी दोस्तों के साथ घूमने जाना,
साइकिलों की दौड़ लगाना।
 वो दोस्त जिनसे हंसते खेलते थे,
देखकर फिल्म में हीरो हीरोइन बनने के ख्वाब देखा करते थे।


 वो गीतों का गुनगुनाना,
 दोस्तों की वो निशानी ।
लौटा दो मेरा बचपन, मेरी वो शैतानी
 पढ़ा करो डैडी समझाया करते थे,
 अच्छे इंसान बनो दादा -दादी समझाया करते थे।
 मां का वो पीटना, बाद में रोते देख हमें, खुद रोना,
 खत्म हुआ बचपन आई जवानी ।
लौटा दो मुझे मेरा वह बचपन मेरी वो शैतानी


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